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कपिल सिब्बल ही खलनायक - बाबा रामदेव

विप्लव
डेट लाइन इंडिया
हरिद्वार, 6 जून- केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल बाबा रामदेव के निशाने पर आ गये हैं। दिल्ली  से जबरिया हरिद्वार पहुचाए गये बाबा  कपिल सिब्बल  पर कुपित हैं। उन्होंने वहा जा कर आरोप लगाया कि आचार्य बाल कृष्ण से जबरन चिट्ठी लिखवाई गयी । अगर मैं संजीदगी से काम नहीं करता तो सरकार हजारों लोगों की लाशें बिछाने वाली थी।

बाबा के मुताबिक पहले बात की गई कि स्वामीजी आप जो चाहते हैं वो सब कर देंगे। अध्यादेश भी ले आएंगे। काले धन का पता लगाने के लिए भौतिक जांच कराएंगे। लोगों के लिस्ट सार्वजनिक करेंगे। सरकार ने सारी बातें स्वीकार्य कर ली। तीन जुन को हमें होटल बुलाया गया कि पीएम, सोनिया गांधी, वित मंत्री से बात की जाती है। जिसके बाद दबाव बनाया गया कि पत्र तो देना ही पड़ेगा। पांच घंटे बैठक चली। और अंत में कहा गया कि या तो परिणाम भोगने के लिए तैयार रहो या तीन दिन के भीतर आप अनशन तोड़ो।

बाबा गमजदा हैं। बड़ी  दूर से  आए थे प्यार का तोहफा लाए थे मगर क्या मालूम था आपका अंदाज जुदा होगा.. हम तो लाठियां खाए थे !! कुछ इसी अंदाज में योग गुरू बाबा रामदेव दिल्ली की वो काली रात भूल नही पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में मैं रविवार की  वो काली रात को याद करता हूं तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।  इतना बड़ा झूठ, इतना बड़ा अत्याचार, इतनी बड़ी बर्बरता हो सकती है। मैंने कभी इसकी कल्पना नहीं की थी।

उन्होंने कहा कि अभी मेरा अनशन समाप्त नहीं हुआ है। मैं अनशन करूंगा। अगर मुझे कुछ होता है तो इसकी जिम्मेदारी सोनिया गांधी और कांग्रेस सरकार की होगी। मैं ये बयान किसी को बदनाम करने के लिए नहीं दे रहा हूं।  सरकार की ये मंशा थी कि स्वामी रामदेव को गिरफ्तार कर उनका एनकाउंटर कर दिया जाए। या उनको गायब कर दिया जाए।

बाबा ने कहा कि पुलिसिया अत्याचार के बारे में सुना था लेकिन एक लाख लोगों के ऊपर जो अत्याचार हुआ उसने तो बर्बरता की सारी हदें पार कर दी और जिस तरह से मैंने वहां के दृश्य देखा मेरी आत्म कांप उठी। आर्म्ड फोर्सेस के लोगों ने छोटे छोटे बच्चों को बेरहमी से पीटा। उनको घसीट घसीटकर मारा पीटा। वो दृश्य देखकर मेरी आत्मा कांप उठी। हमारे कार्यकर्ता धैर्यवान नहीं होते तो हजारों लोगों की लाशें गिर गई होती। उन्होंने बताया कि कई लोग आईसीयू में भर्ती हैं।

बाबा रामदेव ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जिस रिमोट कंट्रोल से संचालित होती हैं वो उस देश की बहू है। इसका मतलब है कि श्रीमति गांधी देश के बच्चे, महिलाओं से प्यार नहीं करती हैं। उन्होंने कहा कि मेरे साथ पुलिस वालों ने पशुओं की तरह व्यवहार किया।

 

दिल दहला देने वाला था वह मंजर

 कब, कहां, किस पल कोई दुर्घटना घटेगी, यह कोई भी नहीं बता सकता। हाल ही में पुर्तगाल के एजोरेस हवाई अड्डे पर जो हुआ वह दिल दहला देने वाला था।

लिस्बन से आ रही साटा इंटरनेशनल इंटरनल की ए-310 फ्लाइट लैंडिंग के दौरान एक तरफ झुक गई। विमान जरा सा अनियंत्रित होता तो फ्लाइट में सवार 200 लोगों की मौत निश्चित थी।

लेकिन पायलट की समझदारी ने एक बड़ा हादसा टाल दिया। इस फोटो को अपने कैमरे में कैद किया विश्वविख्यात फोटोग्राफ्र पाउलो सेंटॉस ने।

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 मुमकिन है 60 दिनों में दो बच्चों की मां बनना?

पटना।।  जैसा कि सभी जानते हैं कि कोई महिला नौ महीने की प्रेगनेंसी के बाद बच्चे को जन्म देती है, लेकिन बिहार में सरकारी योजना के पैसे के
बंदरबांट के लिए अजीबोगरीब कहानी गढ़ी गई। वहां कागज पर दिखाया गया कि 298 महिलाओं ने 60 दिन की अवधि में दो से पांच बच्चों को जन्म दिया। बच्चे के जन्म पर सरकारी योजना के तहत माताओं को दी गई राशि के रेकॉर्ड्स में यह बात पाई गई है।

नियंत्रक एवं महा लेख परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, जब कोई महिला बच्चे को जन्म देती है तो सरकार की जननी सुरक्षा योजना के तहत उसे करीब 1,000 रुपये दिए जाते हैं। लेकिन पाया गया कि 298 महिलाओं को इस योजना के तहत 6.6 लाख रुपये का भुगतान किया गया। दिखाया यह गया कि उन्होंने 60 दिनों के अंदर दो से पांच तक बच्चों को जन्म दिया। कैग रिपोर्ट 2009 के मुताबिक, ये अनियमितताएं साल 2008-09 के दौरान भागलपुर, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, किशनगंज और नालंदा जिलों में पाई गईं। रिपोर्ट राज्य विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान पेश की गई।

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रिपोर्ट के मुताबिक, संबंधित अधिकारियों ने जननी सुरक्षा योजना के तहत इन महिलाओं को 60 दिनों के दौरान दो से पांच बार तक भुगतान किया। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि अपने बच्चे को दूध पिलाने वाली हजारों माताओं को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका है। कैग रिपोर्ट के मुताबिक, 4,70,307 नई माताओं में से 97,146 को फंड की कमी के कारण जननी सुरक्षा योजना के तहत कैश सहायता नहीं मिल पाई। विपक्षी नेताओं ने जननी सुरक्षा योजना पर अमल में भ्रष्टाचार के लिए राज्य सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना की है।

हाई स्कूल में मिड डे मील : कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राज्य के कई हाई स्कूलों में भी स्टूडेंट्स को मिड डे मील दिया गया, जबकि यह योजना हाई स्कूलों में लागू ही नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2009-10 में प्राइमरी स्कूलों में 1 करोड़ 38 लाख 5 हजार बच्चों को और हाई स्कूलों में 38 लाख 80 हजार बच्चों को मिड डे मील दिया गया।  
 

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'लड़की के बदले लड़की दो', नहीं तो..


नोएडा. ग्रेटर नोएडा में खाप पंचायत के एक तुगलकी फरमान से सरेआम कानून की धज्जियां उड़ा दी हैं। ग्रेटर नोएडा से सटे मायचा और दौला गांव के लड़के-लड़की ने भागकर शादी की जिससे नाराज पंचायत ने कहा कि लड़की के बदले लड़की दो नहीं तो जोड़े को मौत के घाट उतार दिया जाएगा।

प्राप्त खबर के अनुसार दौला गांव के संजय ने मायचा गांव की लड़की प्रीती से भागकर शादी कर ली। बताया जा रहा है कि दोनों में डेढ़ साल पहले प्यार हुआ था जिसके बाद इन्होंने परिवार वालों के खिलाफ गुपचुप तरीके से शादी कर ली। इसके बाद 24 जून को दोनों गांव से बिना बताए गायब भी हो गए। इस बात को लेकर मायचा गांव के पंचायत का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। पंचायत ने लड़के के परिवार वाले को आदेश दिया है कि या तो लड़के-लड़की को ढूंढ़कर हमारे सामने लाओ, हम उनके किए की सजा देंगे। इतना ही नहीं पंचायत ने यह भी कहा कि जिस तरह दौला गांव के लड़के ने हमारे गांव की लड़की से शादी की, उसी तर्ज पर अब लड़के वाले हमारे गांव को एक लड़की दें, तब जाकर हिसाब-किताब बराबर होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम लड़के के गांव की लड़कियों और औरतों को उठा लाएंगे।

पंचायत के इस फरमान के बाद लड़के के परिवार वाले और पूरा गांव अपना घर-बार छोड़कर गायब हो गया है। घटना के बाद ग्रेटर नोएडा पुलिस थाने में पंचायत और लड़की के परिवार के कुल 40 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए भारी तादात में पुलिस बल ने मायचा और दौला गांव में डेरा जमा लिया है। पुलिस की मौजूदगी को देखते हुए मायचा गांव में पंचायत में शामिल लोग भी फरार हो गए हैं। पुलिस आरोपियों की खोजबीन करने के लिए अलग-अलग जगहों पर छापे भी मार रही है।

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बर्गर में परोसा जा रहा है शेर का मांस

अमेरिका का एक रेस्टोरेन्ट अफ्रीका में चल रहे फुटबॉल वर्ल्ड कप का ग्राहकों को एहसास कराने के लिए अफ्रीकी शेरों के मांस से बने बर्गर परोस रहा है। इस रेस्टोरेंट में रोजाना शेरों के मांस से बने 15 बर्गर परोसे जा रहे हैं।
रेस्टोरेंट मालिक फुटबॉल के महाकुंभ का मजा लेने आए प्रशंशकों को दक्षिण अफ्रीका का एहसास कराना चाहते हैं, लिहाजा उन्होंने लिनॉयस स्थित एक फार्म हऊस से 4.5 किलाग्राम अफ्रीकी शेर का मांस मंगा लिया है।

वहीं रेस्टोरेंट में शेर के मांस से बने बर्गर परोसे जाने का विरोध भी शुरू हो गया है। कुछ संगठनों ने यह कहा है कि अफ्रकी शेरों का मांस परोसने से इनके लुप्त होने की आशंका और भी ज्यादा बढ़ जाएगी। साथ ही अमेरिका के इस रेस्टोरेंट को बम से भी उड़ाने की धमकी दी गयी है।

रेस्टोरेंट के एक अधिकारी कैमरन सिलोजी ने कहा कि उनकी इस योजना के विरोध में कई ई-मेल मिले हैं, जिनमें रेस्टोरेंट को बम उड़ाने की बात कही गयी है।

सिलोजी की मानें तो उन्होंने अमेरिका के कृषि विभाग (यूएसडीए) से अधिकृत फार्म हाऊस से शेरों का मांस मुहैया कराने का आर्डर दिया है, साथ ही ग्राहकों को मांस परोसने से पहले उन्होंने तमाम पहलुओं पर गहराई से विचार भी किया है।

सिलोजी ने यह भी कहा कि अफ्रीकी शेरों का मांस इन्सानों के खाने के लायक है और इस बात की उन्होंने पूरी तफ्तीश कर ली है। वहीं दूसरी तरफ यूएसडीए के प्रवक्ता जिम ब्राउनली ने कहा कि हालांकी शेरों का मांस एक परंपरागत खाना नहीं है, लेकिन इसके खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। 

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 ईसा मसीह के सिर से बहा 'खून'
लंदन. ईसा मसीह की उस तस्वीर को देखने वालों तांता लगा हुआ है जिसमें उनके सिर से खून बह रहा है।   

अर्जेटीना के येर्बा ब्यूना में एक चर्च में लगी इस तस्वीर से ईसा मसीह के सिर से बहता हुआ खून उनकी ठोड़ी तक आ गया। हालांकि

इस रक्त के नमूने लेकर वैज्ञानिक परीक्षण के लिए भेज दिए गए हैं। ताकि यह पता लगाया जा सके कि ये किसी मानव का रक्त या कुछ और जो लाल रंग का दिखाई देता है।

गौरतलब है कि ऐसे किस्से अक्सर भारत ही नहीं विदेशों में भी सुनने को मिलते हैं।

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कुछ ज्यादा सेक्सी थी तो नौकरी गई
न्यूयॉर्क. न्यूयॉर्क में एक महिला को सिर्फ इसलिए अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा क्योंकि वह कुछ ज्यादा ही सेक्सी दिखाई देती थी। लोग उसके आकर्षण को सहन नहीं कर पा रहे थे। डेबराहेली लोरेंजाना नाम की इस 33 वर्षीय महिला ने अब अपने बॉस के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया है।

न्यूयॉर्क के सिटी बैंक में काम करने वाली डेबराहेली को नौकरी से निकाल दिया गया था। नौकरी से निकाले जाने के पीछे डेबराहेली को कारण बताया गया कि वह ऑफिस में जो कपड़े पहनकर आती है उनमें उसका फिगर बहुत खूबसूरत दिखाई पड़ता है।

ऐसे में उसके साथ काम करने वाले अन्य पुरुष साथियों पर इसका बुरा असर हो रहा है और ऑफिस का काम प्रभावित हो रहा है। साथ ही उसे कुछ समय के लिए एक सूची भी दी गई थी। जिसमें किस तरह के कपड़े पहनना है ये बताया गया था। लेकिन अंतत: उसे निकाल दिया गया। जिसके खिलाफ डेबराहेली ने कोर्ट में अपील की है।
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21वीं बार पिता बनेंगे जैकब जूमा! 








जोहांसबर्ग. साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा इक्कीसवीं बार पिता बनने वाले हैं। सूत्रों के अनुसार जैकब की 21वीं संतान उनकी दूसरी पत्नी नॉपुमेलेलो नेटुली से होने वाली है। इस संबंध में सूत्र बताते हैं कि राष्ट्रपति जैकब और नेटुली का रिश्ता इस वक्त चरम पर है।

राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों ने जैकब के इस रहस्य से पर्दा उठाया है। राष्ट्रपति जैकब जूमा के प्रवक्ता विंसेंट मैग्वेन्या ने एक वेबसाइट के हवाले से कहा कि यह जैकब का पारिवारिक मामला है। इसलिए वे इस

पर टिप्पणी नहीं करेंगे। राष्ट्रपति बनने के बाद जूमा काफी चर्चा में रहे हैं।


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19 साल की सिंगर को चाहिए बूढ़ा प्रेमी!
लंदन. आस्ट्रेलिया की पॉप सिंगर गेबरिएला किल्मी का कहना है कि उसे उम्रदराज, सुंदर और मजाकिया साथी चाहिए जो खाना भी बना सके।

 

फिमेलफर्स्ट से बात करते हुए किल्मी ने कहा कि मुझे लगता है कि मैं उम्र में बड़े लोगों की और ज्यादा आकर्षित होती हूं। किल्मी कहती है कि उसे ऐसा साथी चाहिए जो उसे हंसा सके, उससे बेहतर खाना बना सके और टॉल, डॉर्क एंड हैंडसम हो।

19 वर्षीय किल्मी जब अपने बचपन के क्रश जॉन ट्रावोल्टा (56) से पहली बार मिली थी तो रो पड़ी थीं। किल्मी ने बताया कि ट्रावेल्टा एक रेसिंग इवेंट के दौरान अतिथि बनकर आए थे और जब मैंने उन्हें देखा तो मैं रो पड़ी। मैं सोच रही थी की वो 1978 की हिट फिल्म 'ग्रीस' के मुख्य किरदार डैनी जूको हैं।

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किताब का दावा, स्वामी विवेकानंद ने गोमांस खाने को कहा था

नई दिल्ली।।  क्या गांधी जी एक विचित्र व्यक्ति थे, जो छोटी-छोटी लड़कियों के साथ सोते थे? क्या झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों का साथ
देती थीं? क्या स्वामी विवेकानंद ने लोगों को गोमांस खाने को कहा था? क्या लक्ष्मण की सीता के प्रति कामभावना थी?

भारत के इतिहास से जुड़े ये अजीब-ओ-गरीब दावे अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी की प्रफेसर वेंडी डोनिगर ने अपनी किताब 'द हिंदू- ऐन ऑल्टरनेटिव हिस्ट्री' में किए हैं। इस किताब को लेकर भारत और अमेरिका में खासा विरोध हो रहा है। इसी विरोध के चलते किताब को अमेरिका में मिलनेवाला एक पुरस्कार भी रोक दिया गया।
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मंगलवार को शिक्षा बचाओ आंदोलन नामक एक संगठन ने दिल्ली समेत देश के कई भागों में इस किताब के खिलाफ प्रदर्शन किया और इस पर दुनियाभर में बैन लगाए जाने की मांग की। अमेरिकी दूतावास के सामने प्रदर्शन के बाद संगठन के संयोजक दीनानाथ बत्रा ने कहा कि इस किताब की लेखिका ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर भारतीय इतिहास को पेश किया है, जो सरासर गलत है।

इस किताब को पेंगुइन बुक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने छापा है। संगठन इस पब्लिशिंग हाउस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने पर भी विचार कर रहा है। संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अगर इस किताब पर महीने भर के भीतर बैन नहीं लगाया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

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कोबरा के पेट से निकाल लिए अंडे

डेराबस्सी. छतबीड़ जू में मंगलवार को लेडी एमरेस्ट फीजेंट (एक प्रकार की चिड़िया जिसकी पूंछ लंबी होती है) के बाड़े से आठ अंडे गायब हो गए। अंडों का शिकार बाड़े में मौजूद एक कोबरा कर गया, पर जू प्रबंधकों का शक जू कीपर और स्वीपर पर गया। तहकीकात के लिए पुलिस बुलाई गई।

बुधवार को कर्मियों ने न केवल अंडों के असली चोर को खोज निकाला, बल्कि उसके पेट से अंडे भी उगलवा लिए। पिछले करीब तीन सप्ताह से एमरेस्ट फीजेंट का जोड़ा अंडों की निगरानी कर रहा था। मंगलवार सुबह सभी आठ अंडे बाड़े से गायब मिले। शक गया जू कीपर जरनैल सिंह और सफाई सेवक हरिराम पर। दोनों ने जू प्रबंधन को अंडों के गायब होने की रिपोर्ट दे दी थी, पर प्रबंधक संतुष्ट नहीं हुए।


शाम को जू में पुलिस बुलाने से जू कर्मी खफा हो गए। जू की कर्मचारी यूनियन के चेयरमैन मंगा सिंह की अगुआई में मंगलवार को फील्ड डायरेक्टर के समक्ष रोष जताया गया। हंगामा देख पुलिस चली गई थी। उनकी मांग थी कर्मियों के खिलाफ पुलिस की जगह विभागीय जांच कराई जाए। कर्मियों के रोष के आगे पुलिस वाले चलते बने।


यकीन में बदला शक


जू कर्मचारियों को शुरू से ही शक था कि बाड़े में किसी अन्य जानवर की घुसपैठ है। उन्होंने बाड़े में खोजबीन की और फूस हटाई तो एक बिल नजर आया। इसमें पानी भरा गया, परंतु कोई हरकत न हुई। फिर इसमें चार फीट लंबी पत्ती डाली गई। तभी एक कोबरा बाहर निकला। कर्मचारियों ने उसे कपड़ा डालकर काबू कर लिया। कोबरा का पेट कई जगह से फूला था। कर्मचारियों ने कोबरा को पूंछ की ओर से दबाना शुरू किया।


इस पर कोबरा ने एक—एक कर चार अंडे उगल दिए। यह सारी कार्रवाई जू के फील्ड डायरेक्टर के सामने की गई। इसके बाद कर्मियों ने फील्ड डायरेक्टर का घेराव कर आरोप लगाया कि बिना जांच के उन्हें पुलिस के सामने आरोपी बनाया गया। उन्होंने डायरेक्टर को तुरंत बदलने की मांग उठाई। डायरेक्टर तुशार बहेड़ा ने कहा हकीकत जानने के लिए ही पुलिस का सहारा लिया गया, परंतु बाद में फैसला बदल दिया गया।

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अमेरिका में बनी 'आर्टिफिशल लाइफ'

वॉशिंगटन. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दुनिया में पहली बार कृत्रिम जीवन की रचना का दावा किया है। मैरिलैंड और कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों की टीम ने ऐसी सिंथेटिक कोशिका तैयार करने में सफलता पाई है, जिसके डीएनए की प्रोग्रामिंग पहले ही कर ली गई थी।

प्रयोगशाला के सुरक्षित वातावरण में बैक्टीरिया की जेनेटिक प्रोग्रामिंग कर उसे एक कोशिका में प्रत्यारोपित कर दिया गया। इससे बने जीवाणु की शक्ल और उसका व्यवहार ठीक वैसा ही निकला, जैसा कि वैज्ञानिक चाहते थे। ‘साइंस’ जर्नल में प्रकाशित इस शोध को विज्ञान के क्षेत्र में मील का पत्थर बताया गया है। लेकिन आलोचकों का कहना है कि इस तरह के सिंथेटिक जीवों से खतरे भी पैदा हो सकते हैं।

जे क्रेग वेंटर इंस्टीट्यूट के डॉ. क्रेग वेंटर की अगुवाई में वैज्ञानिकों की टीम ने इससे पहले बैक्टीरिया का सिंथेटिक जिनोम बनाकर उसे दूसरे बैक्टीरिया में प्रत्यारोपित किया था। बाद में इस बैक्टीरिया के जीनोम को एक अन्य बैक्टीरिया में डाला गया था। लेकिन इस बार वेंटर व उनकी टीम ने दोनों तरीकों को मिलाकर एक सिंथेटिक कोशिका बनाई।

डॉ.वेंटर ने कहा,‘अब हम सिंथेटिक डीएनए को कोशिका में प्रत्यारोपित कर एक नई कोशिका बनाने में कामयाब हो गए हैं। यह सिंथेटिक डीएनए कोशिका को पूरी तरह से नियंत्रित करेगा।’ डॉ. वेंटर वही विवादित वैज्ञानिक हैं,जिन्होंने एक दशक पहले ही मानव जिनोम की डिकोडिंग करने की शॉर्ट कट तकनीक ईजाद की थी। अब उनकी इस नई खोज को क्लोनिंग के जरिए तैयार दुनिया की पहली भेड़ डॉली और माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम के बराबर माना जा रहा है।

bhaskar_288क्या फायदा होगा

वेंटर के अनुसार, सिंथेटिक डीएनए के जरिए कोशिका पर नियंत्रण पाने के बाद वैज्ञानिक भविष्य में इनके जरिए बीमारियों का मनचाहे तरीके से मुकाबला करने वाली दवाइयां बना सकेंगे। इसके अलावा तेजी से घटते जैविर्क ईधन का विकल्प खोजने में भी इन्हीं बैक्टीरिया की मदद ली जा सकती है। यहां तक कि ग्रीन हाउस गैसों को सोखने में भी ये बैक्टीरिया बड़े काम के हो सकते हैं।

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तेजी से आ रही है लैला, सैकड़ों गांव खाली

चेन्नई. तमिलनाडु के बाद चक्रवाती तूफान लैला का कहर अब आंध्र की तरफ तेजी के साथ बढ़ रहा है। आंध्र के नेल्लोर और काकानीड़ा की तरफ 100 किलोमीटर की रफ्तार से चक्रवाती तूफान लैला बढ़ रहा है। नेल्लोर में तो तेज हवाएं और समुद्री लहरें उफान पर हैं, जिसे देखते हुए आंध्र प्रदेश के मौसम वैज्ञानिक एस.पी. त्यागी ने कहा कि दोपहर के बाद तूफान के तेज होने की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक आंध्र में कमजोर तूफान दिख रहा है जिसके कारण लैला का असर कम भी हो सकता है।

मौसम वैज्ञानिक यह मान रहे हैं कि लैला आंध्र के तटीय इलाकों में जल्द से जल्द टकरा सकता है क्योंकि अब लैला आंध्र प्रदेश से मात्र 70 किलोमीटर की दूरी पर है। जिसको देखते हुए आंध्र के तटीय इलाकों में आने वाले कम से कम 800 गांवों को खाली करा दिया गया है जबकि 50 हजार लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। राज्य में नौसेना के हेलीकॉप्टर अलर्ट पर हैं तो दूसरी तरफ हैदराबाद, विजयवाड़ा और वाईजैक के लिए फ्लाइट को रद्द कर दिया गया है। राज्य में रेल और बस यातायात भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।


ईस्ट गोदावरी के कलेक्टर एम. रविचन्द्रम ने बताया कि तमिलनाडु में लैला के कहर को देखते हुए हमने आंध्र के तटीय इलाकों में प्रभावित होने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है जबकि एनडीआरएफ की 6 टीमों को अलर्ट पर भेजा गया है। उन्होंने कहा कि हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हरसंभव की तैयारी कर रखी है साथ ही 10 हजार कैंप भी लगाए गए हैं। अभी तक तमिलनाड़ु और आंध्र में अब तक करीब 11 लोगों की मौत हो गई है जबकि 100 से ज्यादा मछुआरे लापता बताए जा रहे हैं।

मौसम विभाग की जारी बुलेटिन में कहा गया कि तूफान उत्तर की तरफ बढ़ रहा है और अभी यह चेन्नई से 190 किलोमीटर उत्तरपूर्व एवं विशाखापट्टनम से 480 किलोमीटर पश्चिम, दक्षिणपश्चिम दिशा की तरफ है। मौसम संबंधी आंकडों के विश्लेषण से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि लैला अभी और ताकतवर हो सकता है और गुरुवार दोपहर या फिर शाम तक विशाखापट्टनम और ओगेंल के मध्य कहीं धावा बोल सकता है।

लैला के बढ़ते खतरे के मद्देनजर आंध्रप्रदेश सरकार ने कृष्णा जिले के जिलाधिकारी कार्यालय में नियंत्नण कक्ष खोला दिया है। आधिकारिक सूत्नों ने बताया कि राजस्व डिवीजनल कार्यालय और जिले के तहसीलदार कार्यालयों में भी नियंत्नण कक्ष स्थापित कर दिया गया है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि लैला का कहर तटीय इलाकों पर ज्यादा पड़ सकता है क्योंकि चक्रवात और तूफान दोनों तेजी के साथ तटीय इलाकों की तरफ बढ़ रहा है। वैज्ञानिको ने आंध्र के पांच बंदरगाहों (विशाखापट्टनम, मछलीपट्टनम, काकीनाड़ा, कलिंगपट्टनम, गंगावरम) पर हाई अलर्ट घोषित कर दिया है, साथ ही किसी को भी इन तटीय इलाकों में न जाने की सलाह दी गई है।

आंध्र के मुख्यमंत्री के. रोसैया ने बुधवार को एक आपातकालीन मीटिंग बुलाकर पूरे हालात का जायजा लिया। उन्होंने आंध्र के तटीय इलाकों में सुरक्षा के पूरे बंदोबस्त करने के साथ नौसेना और राहत कार्य के पुख्ता इंतजाम करने को कहा था। साथ ही प्रशासन को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हर समय तैयार रहने की भी हिदायत दी थी।

लैला ने बुधवार को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई और उसके आसपास के इलाकों एवं अन्य तटवर्ती शहरों में जमकर तबाही मचा रही है, यहां पर जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यवस्त हो चुका है। कन्याकुमारी, रामनाथपुरम और चेन्नई के तटीय इलाकों पर अभी भी अलर्ट जारी है।

गौरतलब है कि चेन्नई के अलावा राज्य नागापट्टिनम, कुड्डालोर, कांचीपुरम, तिरूवल्लुवर में दो दिन से भारी वर्षा हो रही है जिससे आम लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मौसम विभाग ने बताया कि पिछले 24 घटों में 8.1 सेंटीमीटर वर्षा दर्ज की गई जबकि उपनगर नुंगमबाकम में भी 8.1 सेमी और मीनम्बाकम में 7.9 सेमी वर्षा दर्ज की गई है।

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नक्सली हमला : मौत से पहले पानी को तरसे

सुकमा. माओवादियों द्वारा यहां से 35 किमी के फासले पर बस को उड़ाए जाने की घटना के बाद पूरे इलाके में अफरातफरी का माहौल बना हुआ था। माओवादियों ने दोपहर बाद साढ़े तीन बजे वारदात को अंजाम दिया इसके तीन घंटे बाद भी वहां तक कोई मदद नहीं पहुंच पाई थी। वहां मौजूद जवानों ने बताया कि उन्होंने इसकी सूचना गादीरास थाना और भूसारास कैंप दोनों जगह देकर राहत, मदद सहित और फोर्स भेजने की मांग की लेकिन उनकी नहीं सुनी गई।

मोड़ पर कम रफ्तार का फायदा उठाया नक्सलियों ने

शाम लगभग साढ़े 6 बजे सबसे पहले सुकमा से 5-6 जवान घटनास्थल पर पहुंचे। इसके बाद वहां से घायलों को इलाज के लिए भेजने की व्यवस्था शुरू हुई। घटना स्थल पर अफरातफरी का आलम था। न तो घायलों को कोई पूछने वाला था और न ही कोई उनकी चीत्कार ही सुन पा रहा था। पानी मांगते घायलों को कोई पानी देने वाला भी नहीं था।

सुकमा से भूसारास की ओर घटनास्थल से तीन किमी पहले कोर्रा गांव से ही विचलित करने वाला दृश्य नजर आने लगा था। ग्रामीण अपने घरों से निकल कर सड़क पर एकत्र हो गए थे। महिलाएं व बच्चे दहाड़ मार कर रो रहे थे। गांव वाले इस बात से स्तब्ध थे कि माओवादियों ने अब यात्री बसों को और आम बेकसूर ग्रामीणों को भी अपना निशाना बनाने लगे हैं। सूचना के बाद भी वे घटनास्थल की ओर जाने की हिम्मत नहीं जुटा रहे थे।

कुछ घायलों को इलाज गादीरास के हास्पिटल में चल रहा था। ये घायल वैसे थे जो अपने साधनों से या किसी परिजनों के सहारे हास्पिटल तक पहुंचे थे। विस्फोट स्थल के आसपास कई घायल ऐसे भी थे जो समय पर चिकित्सा नहीं मिल पाने से दम तोड़ चुके थे।

चारों तरफ नक्सलियों की दखल

भौगोलिक स्थिति

छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति कुछ इस तरह है कि वह चारों ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है और सभी ओर पड़ोसी राज्यों में नक्सलियों की दखल है। जैसे प्रदेश के उत्तर में अंबिकापुर सरगुजा से लगा क्षेत्र झारखंड के घने जंगलों से घिरा है जहां नक्सली सक्रिय हैं। दक्षिण में दंतेवाड़ा से नीचे बीजापुर से जंगल आंध्र के जंगलों से जुड़ा है यह क्षेत्र भी नक्सलियों का गढ़ रहा है। पूर्व में बस्तर के सुकमा से नीचे उड़ीसा की सीमा शुरु हो जाती है जहां के जंगलों में भी नक्सलियों का गढ़ रहा है। पश्चिम सीमा में डोंगरगढ़ से आगे महाराष्ट्र की सीमा शुरू होते ही गढ़चिरोली के घने जंगलों में नक्सली बरसों से सक्रिय हैं।

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पूर्व उपराष्ट्रपति शेखावत का निधन

जयपुर. सांस में तकलीफ और बेचैनी की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराए गए पूर्व उप राष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत (87) का शनिवार की सुबह 11.10 बजे निधन हो गया।

गौरतलब है कि शेखावत की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें एमएसएस अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। शेखावत को गुरुवार देर रात सांस लेने में दिक्कत होने तथा कमजोरी महसूस होने पर एसएमएस अस्पताल में लाया गया था।

देश के 11वें उपराष्ट्रपति रहे भैरोसिंह शेखावत का जन्म 23 अक्टूबर 1923 को राजस्थान के सीकर जिले के एक छोटे से गांव खाचरियावास में हुआ था।

भैरोंसिंह शेखावत : प्रोफाइल

जन्म तिथि 23 अक्टूबर, 1923 (धनतेरस) (खाचरियावास में )
पिता का नाम स्व. देवीसिंह शेखावत
माता का नाम स्व. बन्ने कंवर
मूल निवास गांव : खाचरियावास जिला सीकर (राज.)
पत्नी का नाम सूरज कंवर
संतान - एक बेटी नाम रतन कंवर
व्यवसाय- खेती

इन पदों पर रहे

विधायक

1952 दांतारामगढ़ से
1957 श्रीमाधोपुर से
1962 किशनपोल से
1967 किशनपोल से
1977 छबड़ा से
1980 छबड़ा से
1985 आमेर से
1990 धौलपुर से
1993 बाली से
1998 बाली से

राज्य सभा सदस्य : 1974 से 1977

मुख्यमंत्री

पहली बार : 22 जून, 1977 से 15 फरवरी, 1980
दूसरी बार : 4 मार्च, 1990 से 15 दिसबर, 1992
तीसरी बार : 4 दिसंबर, 1993 से 31 दिसंबर, 1998

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष

पहली बार : 15 जुलाई, 1980 से 10 मार्च,1985
दूसरी बार : 28 मार्च,1985 से 30 दिसंबर, 1989
तीसरी बार : 8 जनवरी, 1999 से 18 अगस्त, 2002

उपराष्ट्रपति : (देश के 11 वे उपराष्ट्रपति)

19 अगस्त, 2002 से 21 जुलाई, 2007

राजनीति में

आरएसएस में स्वयंसेवक रहे। थानेदार की नौकरी छोड़ने के बाद 1948 में जनसंघ की सदस्यता ली। शेखावत ने 1952 में विधानसभा की चुनाव लड़ा।

जनसंघ के प्रदेश अध्यक्ष रहे।

जनसंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे।

भाजपा राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य रहे।

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'सेक्स की भूखी हैं कार्ला ब्रूनी'
बिजी होने के चलते फ्रेंच प्रेजिडेंट निकोला सार्कोजी और कार्ला ब्रूनी की सेक्स लाइफ पर असर पड़ रहा है। सार्कोजी के काफी बिजी रहने की वजह से कार्ला को उनके साथ सेक्स करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है।
 

यह हॉट-हॉट खुलासा किया गया है 'द प्रॉमिस' नामक किताब में। इसके लेखक 42 वर्षीय अमेरिकी पत्रकार जॉनाथन अल्टर हैं। 'डेली एक्सप्रेस' ने किताब के हवाले से लिखा है कि अमूमन सार्कोजी इतने बिजी होते हैं कि अपनी 42 वर्षीय मॉडल बीवी को शारीरिक सुख नहीं दे पाते। लेखक ने लिखा है कि अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के चक्कर में सार्कोजी , कार्ला को उतना प्यार नहीं दे पाते जितना वह पसंद करती हैं।
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किताब में यह खुलासा भी किया गया है कि कार्ला ब्रूनी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा को बताया था कि वह एक दफा सार्कोजी संग अंतरंग क्षणों में इस कदर खो गईं कि उनके प्रेमालाप के कारण एक राज्याध्यक्ष उनसे मिलने के इंतजार में काफी इंतजार करना पड़ा। अटकलें हैं कि यह राज्याध्यक्ष कोई और नहीं, बल्कि खुद ब्रिटेन की महारानी क्वीन एलिजाबेथ थीं। । फ्रांस का यह फर्स्ट कपल अपनी लेट-लतीफी के लिए भी चर्चित रहा है। 2008 में इन्होंने ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स को भी इंतजार करवाया था।  


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